Bulb ka avishkar kisne kiya नमस्कार दोस्तों, बिजली आज के समय में बेहद जरुरी हो चुकी हैं. क्या आप जानते हैं की बिजली के लिए इस्तेमाल होने वाले बल्ब का निर्माण किसने किया ? अगर आप इन सब के बारे में नही जाते हैं तो इस लेख को जरुर पढ़े.
बल्ब का अविष्कार किसने किया ? | Bulb ka avishkar kisne kiya
थॉमस अल्वा एडिसन ने बल्ब का अविष्कार किया था. सबसे पहले लाइट बल्ब का आविष्कार थॉमस अल्वा एडिसन द्वारा सन 1879 में किया गया था।
यदि आपको हमारे दैनिक जीवन में उपयोग होने वाले लाइट बल्ब के बारे में जानकारी प्राप्त करनी है कि इसका आविष्कार किसने किया था और कब किया था तो आपका हमारे पेज पर स्वागत है.
आप लगाता हमारे साथ बने रहिए। हम आपको लाइट बल्ब के बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करने का प्रयास करेंगे। बिजली की रोशनी का हमारे जीवन में सबसे अधिक उपयोग किया जाता है। यह हमारे द्वारा उपयोग की जाने वाली रोजमर्रा की सुविधाओं में से एक है। वर्तमान में टेलीफोन और कंप्यूटर के इस्तेमाल में भी लाइट का ही इस्तेमाल किया जाता हैं.
बल्ब के आविष्कारक के चरण
थॉमस अल्वा एडिसन ने सर्वप्रथम बल्ब का आविष्कार करने की योजना बनाई थी लेकिन इन्होंने ब्लब का आविष्कार करने से पहले लगभग इसके 20 चरणों से होकर इन्हें गुजरना पड़ा था।
थॉमस अल्वा एडिसन ने लाइट के बल्ब का आविष्कार करने से पहले एक उच्च वैक्यूम की निर्वात नली आविष्कार किया था। थॉमस अल्वा एडिसन ने विभिन्न उच्च प्रतिरोध वाले बिजली के तारों को आपस में मिलाकर देखा तो उन्होंने पाया कि इससे एक रोशनी प्रकाशित होती है।
इलेक्ट्रॉनिक ब्लब का आविष्कार पहली बार सन 1802 में हम्फ्री डेवी किया था। इन्होंने बिजली के तार का प्रयोग करके एक इलेक्ट्रॉनिक बैटरी का निर्माण किया था। इन्होंने बिजली के तार को अपने द्वारा निर्मित की गई बैटरी और एक कार्बन के टुकड़े से जुड़ा था तो उन्होंने देखा कि कार्बन का टुकड़ा चमकने लगा था.
और चमकने के कारण उससे प्रकाश उत्पन्न हुआ था। इस कार्बन के टुकड़े से प्रकाश लंबे समय तक उत्पन्न नहीं होता था जिसके कारण इसे इलेक्ट्रॉनिक आरक लैंप नाम दिया गया था। सर्वप्रथम संपूर्ण विश्व में इस प्रकार के बल्ब का बहुत ही अधिक तौर पर उपयोग किया जाता था।
वैज्ञानिकों ने लगातार सात दशकों तक अपने आविष्कारों में विभिन्न तरह के परिवर्तन करके अनेक तरह के लाइट बल्ब बनाएं लेकिन सभी ने लगभग एक समान प्रकार का आविष्कार किया जिसके कारण कोई भी एक अच्छा प्रारूप लोगों के सामने नहीं आया।
सन 1840 में ब्रिटिश वैज्ञानिक वारेन ने एक वेक्यूम ट्यूब का निर्माण किया तथा उसको कुंडलिक प्लेटिनम फिलामेंट के साथ जोड़कर देखा और उन्होंने देखा कि इस में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर प्लैटिनम का एक टुकड़ा बहुत अधिक देर तक प्रकाश देता रहता है।
प्लैटिनम का टुकड़ा अधिक देर तक प्रकाश देने का मुख्य कारण यह रहा कि प्लैटिनम का गलनांक वैज्ञानिक द्वारा दिए गए तापमान से भी बहुत अधिक था।
बल्ब का आविष्कार करने वाले वैज्ञानिक वारेन ने देखा कि खाली किए गए कक्ष में प्लेटिनम के साथ प्रतिक्रिया करने के लिए गैस के अनूप बहुत ही कम मात्रा में होते हैं यदि हम इन गैस के अणुओं की मात्रा में सुधार करते हैं तो ब्लब बहुत अधिक देर तक प्रकाश देगा।
लेकिन इसका एक मुख्य दोष यह रहा कि प्लैटिनम उस समय बहुत ही अधिक महंगा आता था जिसके कारण इसका व्यवसायिक तौर पर उत्पादन नहीं हो सका।
सन 1805 में जोसेफ विल्सन नामक एक ब्रिटिश वैज्ञानिक जो कि भौतिकी के एक मुख्य वैज्ञानिक थे उन्होंने एक खाली कांच के बल्ब में कार्बोनेट पेपर के फिलामेंट को लगाकर एक बल्ब का निर्माण किया था। उन्होंने देखा कि उनके पास एक काम करने वाला प्रोटोटाइप है.
लेकिन यह अच्छी वैक्यूम और बिजली की पर्याप्त आपूर्ति की कमी के कारण ही एक बल्ब का निर्माण हो गया था। लेकिन इस ब्लब का प्रकाश बहुत ही कम समय तक रहता था और उसका जीवन काल भी बहुत छोटा था।
जोसेफ विल्सन ने देखा कि यदि अच्छे वैक्यूम पंप उपलब्ध हो जाए तो अच्छे प्रकाश बल्बों का निर्माण हो सकता है उन्होंने धीरे-धीरे इस विधि से ही एक अच्छे और लंबे समय तक चलने वाले बल्ब का निर्माण कर दिया था।
24 जुलाई 1874 को टोटो के एक मेडिकल इलेक्ट्रीशियन हेनरी वुड वर्ल्ड और उनके एक सहपाठी द्वारा प्रकाश के बल्ब के लिए एक कनाडाई पेटेंट की याचिका दायर की थी। टोरंटो ने देखा कि नाइट्रोजन से ब्रेक आज के सिलेंडरों में इलेक्ट्रोड के बीच आयोजित कार्बनरॉड जो कि उस बल्ब को प्रकाशमय करने में बहुत ही अधिक सहायता करते थे।
वर्डवर्ल्ड और शिवांश ने अपने इस पहले आविष्कार को बहुत ही अधिक पैमाने पर व्यवसाय करने करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने सबसे अंत में असफलता मिली और उन्होंने अपना यह पेटेंट थॉमस एडिसन को बेच दिया था।
थॉमस एडिसन का पहला प्रकाश बल्ब
थॉमस अल्वा एडिसन ने सन 1878 में एक व्यावहारिक लैंप का अविष्कार करने का एक महत्वपूर्ण एजेंडा बनाया और उन्होंने सर्वप्रथम इलेक्ट्रिक लाइट्स में सुधार के लिए अपना पहला पेटेंट आवेदन तैयार किया था।
थॉमस अल्वा एडिसन ने अपने मूल डिजाइन में सुधार करने के लिए धातु के फिलामेंट में कई प्रकार के सुधार करने जारी रखे थे और उन्होंने देखा कि एक कार्बन फिलामेंट में लाइट का उपयोग करके एक बल्ब का निर्माण किया जा सकता है।
थॉमस अल्वा एडिसन ने अपने ब्लब के पेटेंट में कार्बन फिलामेंट के निर्माण के बारे में कई तरीकों का वर्णन किया था। उन्होंने बताया कि कपास और लीलन के धागे से उन्होंने फिलामेंट का निर्माण किया था। थॉमस अल्वा एडिसन का पहला विद्युत फिलामेंट लगभग 1200 घंटे से अधिक समय तक चला था।
थॉमस अल्वा एडिसन कि इस खोज के पश्चात उन्होंने व्यवसायिक तौर पर बल्ब का निर्माण करना शुरू कर दिया था। ब्लब का व्यवसायिक तौर पर निर्माण करने के पश्चात थॉमस अल्वा एडिसन ने एक कंपनी का निर्माण किया था.
जिसका नाम एडिशन इलेक्ट्रिक लाइट कंपनी था। एडिशन इलेक्ट्रिक लाइट कंपनी संपूर्ण विश्व में अपने प्रोडक्ट बेचा करती थी।
निष्कर्ष
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