ब्रह्मपुत्र नहीं कहा से निकलती है ?

Brahmaputra nadi kahan se nikalti hai ( ब्रह्मपुत्र नहीं कहा से निकलती है ) संसार की सृष्टि पानी से ही हुआ था, पानी के बिना संसार का अस्तित्व के बारे में सोचना असम्भव है। सागर, महासागर और हिमखंड से भरा यह धरती पर कई सारे नादिया, झील, झरने और और जल की बाकि स्रोत भी दिखे जा सकते है। बारिश धरती पर जलचक्र का एक अहम हिस्सा है, इसके वजह से धरती पर पानी की कमी महसूस नहीं होती।

ऐसे तो नदियों के बनने के कई सारे कारण होते है, जैसे की भूतल-जलस्रोत (झरना), मखंड,  झील और बारिश। ऐसे कई सारे प्राकृतिक कारणों से नादिया धरती पर सदियों पहले बने और पूरे दुनिया भर में फ़ैल गए। 

आज हम भारत के ऐसे ही एक नदी के बारे में जानने वाले है जो न सिर्फ एक नदी है , पुराणों में इसके जिक्र होने के साथ साथ लोगों की आस्था भी जुड़ी हुई है। 

ब्रह्मपुत्र नदी

ब्रह्मपुत्र नदी भारत की  सिर्फ एक नदी नहीं बल्कि वेदों और पुराणों से जुडी एक आस्था भी है। ब्रह्मपुत्र यनिके ब्रह्मा के पुत्र के नाम को धारण करने वाला यह नदी के बारे में कई सारे रोचक कहानियां भी महजूद है। पवित्र मानी जाने वाली यह नदी भारत समेत तिब्बत और बांग्लादेश में भी  बहता है।

ब्रह्मपुत्र नदी कहा से निकलती है?

ब्रह्मपुत्र नदी का उद्गम तिब्बत के पुरंग जिले के मनोसरोबर के निकट चेमायुंग डंग हिमवाह से हुआ है। यह कैलाश पर्वत के निकट ही स्थित है। दुःखद बात यह है कि कैलाश पर्वत और मानसरोवर जैसे भारत के धार्मिक स्थल अब भारत में न होकर चीन के स्वशासित प्रदेश तिब्बत (तिब्बत को चीन अपना हिस्सा मानने के साथ साथ यह दुनिया भर में जाहिर करता आया है, भले ही तिब्बत पर चीन का शासन न चलता हो पर दबदवा जरूर है) में है।

 हिमवाह से उत्पन होने और मानसरोवर के नाजिदिक के कारण यह नदी में साल भर जल प्रवाह बना रहता है। यह नदी सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के 9वी सबसे बड़ी  जल प्रवाहित नदी से प्रसिद्ध है।

 ब्रह्मपुत्र नदी के अपवाह तंत्र

तिब्बत के चेमायुंग डंग हिमवाह से निकलने के बाद यह तिब्बत के पठारी इलाको में  समुद्र पतन से 4000 मित्रे की ऊँचाई पर पूर्व की और 1700 किमी तक बहती है। यह नदी फिर नामचा  बर्वा पर्वत के पास दक्षिण -पश्चिम दिशा में बहकर भारत के अरुणाचल प्रदेश में दाखिल होता है। 

फिर यह नदी  अरुणाचल प्रदेश से होकर असम में प्रवेश करती है। असम के बाद यह बांग्लादेश में  यह नदी कई सारे सिखाये बना कर बंगाल की खाड़ी में जा मिलता है।

 ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे बसे शहर

2900 किमी का यह नदी के किनारे कई सारे शहर और जनबस्ती है। डिब्रुगढ, जोरहट, तेजपुर, गुवाहाटी, डुबरी आदि शहर ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे बसे हुए है। ऐसे तो कई सारे जगहों पर इसमें नौचालन से एक दूसरी जगह जाते है लेकिन तिब्बत के पहाड़ी और भारत के कम गहरे पानी में यह आसान नहीं है।

हर साल यह नदी अपने साथ कई सारे उपजाऊ मिट्टी लाके इकठ्ठा करती है, जिससे की यह क्षेत्र में खेती अछि होती है। मगर जहाँ सृजन है वहां विनाश तोह होती ही है, हर साल बाढ़ से यह नदी कई सारे नुकसान भी करती है।

ब्रह्मपुत्र नदी का अन्य नाम

यह नदी  चीन में  “या लू त्सांग पु चियांग ” के नाम से जाने वाली यह तिब्बत में  “सांपो” , अरुणाचल प्रदेश में यह  “देहांग” असम में “ब्रह्मपुत्र” और फिर बांग्लादेश में यह नदी “यमुना” की नाम से जानी जाती है।

बांग्लादेश में प्रवेश करते ही यह नदी कई सारे शाखाओं में बटने के बाद एक शाखा “पद्मा नदी” के साथ मिलकर वापस भारत चला आता है, जो के “गंगा ” के नाम से भारत में प्रसिद्ध है।

आपने क्या सीखा ?

हमे आशा है की आपको Brahmaputra nadi kahan se nikalti hai ( ब्रह्मपुत्र नहीं कहा से निकलती है ) विषय के बारे में दी गई जानकारी अच्छी लगी होगी। अगर आपको इस विषय के बारे में कोई Doubts है तो वो आप हमे नीचे कमेंट कर के बता सकते है। आपके इन्ही विचारों से हमें कुछ सीखने और कुछ सुधारने का मोका मिलेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *