X Ray ki khoj kisne ki नमस्कार दोस्तों, हमारे शरीर में थोड़ी सी भी समस्या होने पर हम एक्स-रे निकलवाते हैं ताकि हमे इस बात का पता चल सके की आखिर दिक्कत कहा हैं। क्या आप जानते हैं की एक्स-रे की खोज किसने की ?
एक्स-रे की खोज किसने की ? | X Ray ki khoj kisne ki
एक्स-रे की खोज सर्वप्रथम विल्हेम कानराड रोएन्टजेंन ने की थी। विल्हेम की यह सफलता संपूर्ण चिकित्सा क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण क्रांति थी। एक्स-रे की खोज के कारण ही मानव के आंतरिक अंगों का तथा इसके साथ ही मानव शरीर की हड्डियों का भी चित्र एक्स रे के माध्यम से लिया जा सकता है।
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विल्हेम रोएन्टजेंन कौन थे?
X Ray की खोज करने वाले विल्हेम रोएन्टजेंन के बारे में सामान्य जानकारी
विल्हेम रोएन्टजेंन एक होलेंड के वैज्ञानिक थे जिन्होंने एक्स-रे की खोज की थी। इनका जीवन बहुत ही संघर्ष भरा था। विल्हेम ने अपने छात्र जीवन में एक यूट्रैक्ट टेक्निकल स्कूल में अपना प्रारंभिक छात्र जीवन शुरू किया था यहां पर किसी अन्य छात्र द्वारा शरारत करने पर विल्हेम को इस स्कूल से निकाल दिया गया था।
विल्हेम ने अपना स्कूली डिप्लोमा डायरेक्ट प्राप्त कर लिया था जिसके कारण उन्होंने वूर्जब्रिज विश्वविद्यालय से एडमिशन नहीं मिला था। अनेक प्रयासों और धीरे-धीरे विल्हेम ने वूर्जब्रिज विश्वविद्यालय में प्रवेश ले लिया तथा वहां पर वह वैज्ञानिक प्रयोग करने लगे उनके वैज्ञानिक प्रयोग के कारण धीरे-धीरे वह क्रुक्स ट्यूब में विद्युत प्रवाह के निर्वहन से उत्पन्न प्रकाश की घटना और अन्य उत्सर्जन पर अध्ययन करने लगे।
इसके साथ ही वहां पर उन्होंने सकारात्मक और नकारात्मक इलेक्ट्रोड के साथ कांच के बल्ब को लगाया जो कि एक फ्लोरेंट चमक प्रकाशित करते थे।
विल्हेम शुरुआत से ही कैथोड किरणों के बारे में अधिक जानकारी रखने की रुचि रखते थे जिसके कारण उन्होंने आवेशित ट्यूब के बाहर स्थित कैथोड किरणों का लगातार आकलन किया था।
8 नवंबर 1895 में विल्हेम ने देखा कि जब भारी काले कार्डबोर्ड के साथ ट्यूब को लगाया जाता है तो हरे रंग की फ्लोरोसेंट रोशनी में 9 फीट दूर एक प्लैटिनो बेरियम स्क्रीन लगातार चमकती हुई प्रतीत होती थी।
विल्हेम के इस प्रयोग के कारण उन्होंने देखा कि कैथोड किरणों पर उनके द्वारा निर्धारित किए गए प्रतिदीप्ति कैथोड किरण जिनको बाद में इलेक्ट्रॉन के रूप में मान्यता दे दी गई थी। इन इलेक्ट्रॉन को विल्हेम ने क्रुक्स ट्यूब से निकाला और देखा कि वहां पर उत्पन्न होने वाली अदृश्य किरणे थी।
यह अदृश्य किरणें ट्यूब के चारों ओर लिपटे हुए अपारदर्शी काले वाले कागज में घुस गई थी। विल्हेम ने अपने प्रयोगों को लगातार जारी रखा और उन्होंने आगे अन्य प्रयोग करके देखा कि किरणें मानव के शरीर के किसी भी अंग से गुजरने में सक्षम थी लेकिन उनकी उन्होंने मानव शरीर की हड्डियों और धातु की वस्तुओं को छोड़ दिया था।
विल्हेम ने इस प्रयोग को अपनी पत्नी के ऊपर किया और उन्होंने अपनी पत्नी का एक एक्स-रे लिया और उसमें देखा कि उनकी पत्नी की केवल हड्डी और हाथ में पहनी हुई अंगूठी दिखाई दे रही थी।
विल्हेम में अपने द्वारा निकाले गए इन निष्कर्षों का अध्ययन करने के लिए लगातार 7 सप्ताह को सावधानीपूर्वक निकाला तथा उन्होंने इस कार्य को लगातार बिल्कुल ही सावधानी पूर्वक और नियोजित तरीके से निष्पादित किया था। विल्हेम ने 28 दिसंबर को देखा कि उनके द्वारा किया गया प्रयोग बिल्कुल ही सटीक था।
वैज्ञानिक विल्हेम ने अपने इस उपकरण की प्रस्तुति को सन 1896 में एक प्रदर्शनी के रूप में लोगों के सामने प्रस्तुत किया और उन्होंने वहां पर उपस्थित एक एनाटॉमिस्ट के हाथ की एक प्लेट बनाई और उन्होंने इसका नया नाम रोएंटजेन की किरणें नाम दिया।
वैज्ञानिक विल्हेम की कुछ पल भर में ही संपूर्ण दुनिया में फैल गई और इसके पश्चात थॉमस एडिसन वैज्ञानिक उन वैज्ञानिकों में से एक थे जिन्होंने विल्हेम की खोज को पूरा करने के लिए बहुत ही अधिक इच्छुक थे।
क्योंकि थॉमस एडिसन हैंडहेल्ड क्लोरोस्कोप का निर्माण कर रहे थे। लेकिन थॉमस एडिसन घरेलू उत्पादन के लिए पहला व्यवसायिक एक्स-रे लैंप बनाने में असफल रहे थे लेकिन विल्हेम की इस खोज के कारण उनके सभी उपकरण जल्द ही पूरे हो गए और उनका स्टूडियो हड्डी का चित्र लेने के लिए बहुत ही जल्दी खोल दिए गए थे।
वैज्ञानिकों ने जल्द ही वैज्ञानिक विल्हेम की खोज को पहचान लिया था और फरवरी 1896 तक एक्स-रे अमेरिका में डॉर्टमाउथ m।a। में अपना पहला ने दैनिक उपयोग पा रहे थे। जब एडमिन डेट फास्ट में अपने भाई यानी कि एक स्थानीय डॉक्टर के लिए एक मरीज के कॉल्स फैक्चर की एक प्लेट तैयार कि।
जल्द ही मिश्रित परिणामों के साथ अंगों और वाहिकाओं की स्पष्ट तस्वीर देने के लिए धातु की छड़े डालने या रेडियो अपारदर्शी पदार्थों को इंकजेट करने का प्रयास किया गया पहली एंजियोग्राफी मूविंग पिक्चर एक्शन रेडियोलॉजी 1896 में शुरुआत की गई थी।
निष्कर्ष
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