Purn sankhya kise kahate hain ( पूर्ण संख्या किसे कहते है ) गणित में संख्या से तो हम सब परिचित होंगे। संख्या गणित के वो इकाई है जिसके बगैर गणित का अस्तित्व शन्य हो जाता है। आज के ” पूर्ण संख्या किसे कहते है?” शीर्षक के इस लेख में हम आपको पूर्ण संख्या किसे कहते है और उसके उदाहरण तथा पूर्ण संख्या से जुड़े कुछ नियम के बारे में भी जानकारी देंगे।
प्राकुतिक संख्या –
पूर्ण संख्या के बारे में चर्च करने से पहले आइये जानते है कि प्राकृतिक संख्या क्या होता है। क्यों के पूर्ण संख्या के साथ प्राकृतिक संख्या के कई सारे सामंजस्य है। जिन संख्या को हम गईं तथा देख सकते है उन्हें प्राकृतिक संख्या कहते है। आसान भाषा में समझे तो प्रकृति में मिलने वाले बस्तुयों को हम जिन संख्या द्वारा गिनते है उन्हे प्राकृतिक संख्या कहा जाता है।
उदाहरण के लिए पैड, पौधे, पहाड़, पशु आदि को गिनने के लिए हम 1 से सुरु करते है। इसलिए 1 तथा उससे बड़ी सभी धनात्मक राशि प्राकृतिक संख्या होती है।
पूर्ण संख्या –
सभी प्राकृतिक संख्या तथा शून्य के सम्मेलन से पूर्ण संख्या का गठन होता है। आसान भाषा में समझे तो 0 और सभी धनात्मक राशियां पूर्ण संख्या होती है। यहाँ ध्यान रखने वाली बात यह है कि सभी प्राकृतिक संख्या पूर्ण संख्या है, परंतु सभी पूर्ण संख्या प्राकृतिक संख्या नहीं होता है। क्यों के शून्य/0 एक पूर्ण संख्या है , प्राकृतिक संख्या नहीं।
उदाहरण – 0,1,2,3,4,5,6,7…………
पूर्ण संख्या को अंग्रेजी अक्षर W द्वारा तथा प्राकृतिक संख्या को न द्वारा दर्शाया जाता है।
याद रखने वाली बात –
- सभी प्राकृतिक संख्याएँ पूर्ण संख्या होती है।
- सभी गणन संख्याएँ पूर्ण संख्या होती है।
- सभी धनात्मक परिमेय संख्या (शून्य भी) भी पूर्ण संख्या होती है।
पूर्ण संख्या के गुणधर्म –
पूर्ण संख्या के कुछ खास तरह के गुणधर्म होते है, चलिये उन सबको भी जानते है।
संबृत नियम
पूर्ण संख्या संबृत नियम का पालन करते है, किसी भी दो पूर्ण संख्यओं का योग तथा गुणा के परिणाम हमेशा एक पूर्ण संख्या होता है। अगर a और b दो पूर्ण संख्या है, तो a+b तथा a×b के परिणाम भी पूर्ण संख्या ही होगा।
उदाहरण –
7+9=16
7 और 9 दोनों पूर्ण संख्या है, उनका योग 16 भी एक पूर्ण संख्या है।
7×9=63
7 और 9 का गुणा 63 भी एक पूर्ण संख्या ही है।
क्रमचयी या क्रमबिनिमय नियम
पूर्ण संख्या योग तथा गुणन में क्रमचयी नियम का पालन करते है। किसी भी दो या दो से ज्यादा पूर्ण संख्या को किसी भी क्रम में योग तथा गुणा करने पर परिणाम एक सामान ही रहता है।
उदाहरण –
योग
7+8+9= 24
8+9+7=24
9+8+7=24
हमने यह देखा की किसी भी क्रम से योग करने पर परिणाम एक ही आता है।
गुणन –
4×5×2=40
2×5×4=40
5×2×4=40
यह भी देखा कि किसी भी क्रम में गुणन करने पर भी परिणाम सामान ही आते है।
साहचर्य नियम –
पूर्ण संख्या योग तथा गुणन का साहचर्य नियम का पालन करते है। अगर a, b, c तीनो पूर्ण संख्या है तो
a+(b+c) = b+(c+a)= c+(b+a) होगा।
उदाहरण के लिए – 4+(5+6) = 15 , 5+(6+4)= 15
गुणा –
a×(b×c)= b×(c×a)= c×(b×a)
4×(5×6)= 120 , 5×(6×4) = 120 , 6×(5×4)= 120
वितरण नियम –
पूर्ण संख्याएँ वितरण नियम का भी पालन करते है।
जैसे की, a, b, c अगर तीन पूर्ण संख्या है तो –
a×(b+c) = a×b + a×c
उदाहरण के लिए , 4×(6+3) = 4×9=36
4×(6+3)= 4×6+4×3= 24+12 = 36
a×(b-c)= a×b- a×c
4×(6-3)= 4×3= 12
4×(6-3)= 4×6 – 4×3 = 24 – 12 = 12
दोस्तों आज हमने पूर्ण संख्या के बारे में काफी विस्तार से आलोचना किया। आशा है अब आपको पूर्ण संख्या तथा उसके गुणधर्म के बारेमे अब आपके मन में कोई द्विविधा नहीं रहा होगा। पोस्ट के बारे में अपना राय हमे कमेंट बॉक्स में जरूर लिखे।
आपने क्या सीखा ?
हमे आशा है की आपको Purn sankhya kise kahate hain ( पूर्ण संख्या किसे कहते है ) विषय के बारे में दी गई जानकारी अच्छी लगी होगी। अगर आपको इस विषय के बारे में कोई Doubts है तो वो आप हमे नीचे कमेंट कर के बता सकते है। आपके इन्ही विचारों से हमें कुछ सीखने और कुछ सुधारने का मोका मिलेगा।
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