Prithvi ki utpatti kaise hui नमस्कार दोस्तों, आज हम पृथ्वी पर निवास करते हैं. हम इस पृथ्वी के बारे में तब से जानते हैं जब से हम इस पृथ्वी पर निवास करते हैं. क्या आप जानते हैं की पृथ्वी की उत्त्पति कैसे हुई ?
इस लेख में आपको इसी के बारे में बताया जाएगा. अंत आप इस लेख को अंत तक पढ़े ताकि आपको इसके बारे में पूरी जानकारी मिल सके.
Prithvi
पृथ्वी ही ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन पाया जाता है। यहीं पर पर्वत, नदियां, जलाशय ,वन ,मरुस्थल ,जीव -जंतु आदि स्वतंत्र होकर निवास करते हैं। यही वजह है पृथ्वी आकर्षण का केंद्र मानी गई है। हम पृथ्वी पर निवास करते हैं, तो इस नाते पृथ्वी की उत्पत्ति विकास और संरचना जानने की उत्सुकता हमेशा से बनी रहती है ,तो चलिए आज हम पृथ्वी की उत्पत्ति विकास और संरचना के विषय में सहज रूप से जानते हैं।
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पृथ्वी की उत्पत्ति कैसे हुई | Prithvi ki utpatti kaise hui
पृथ्वी की उत्पत्ति सूर्य से अलग हुए पदार्थ (पिण्ड) धीरे-धीरे ठंडे होने की वजह से हुई ।शुरू में पृथ्वी ठंडी चट्टानों का एक समूह थी। पृथ्वी की इन चट्टानों में रेडियोधर्मी पदार्थों की प्रचुरता थी जिनमें यूरेनियम, थोरियम, पोटैशियम-40 आदि मुख्य रूप से शामिल थे.
रेडियोधर्मी पदार्थों का स्वाभाविक रूप से विघटन के फलस्वरुप विपुल उर्जा उत्पन्न हुई। इस विपुल ऊर्जा और गुरुत्व संकुचन इन्हें पृथ्वी का ताप इतना अधिक बढ़ा दिया कि पृथ्वी इसके परिणाम स्वरूप द्रवित हो गई। मूल रूप से पृथ्वी ग्रह के अस्तित्व में आने के 80 करोड़ वर्ष बाद द्रवीकरण की घटना घटित हुई थी
पृथ्वी का क्रमागत रूप से विकास
जब पृथ्वी का ध्रुवीकरण हुआ तो इस पर गुरुत्व के प्रभाव से इसके पदार्थ में पुनर्व्यवस्था शुरू हो गई। द्रवित लोहा सबसे ज्यादा भारी होने की वजह से पृथ्वी के केंद्रीय भाग में एकत्रित होने लगा। जिससे प्रावार का निर्माण होता गया।
वही सबसे हल्के भाग जो कि पहले पृथ्वी के केंद्र में थे वह सबसे ऊपर आ गए। इस चट्टानी भाग से भूपर्पटी का निर्माण हुआ था ।माध्यम घनत्व के पदार्थ भूपर्पटी और क्रोड के बीच में एकत्रित हो गए जिससे प्रावार का निर्माण हुआ था।
द्रवित रूप में पृथ्वी अलग – अलग घनत्व की परतों में विभाजन अवकलन कहलाता है। इस अवकलन के वजह से ही पृथ्वी की तीन परतो क्रोड ,प्रावार और भूपर्पटी का निर्माण हुआ था।अवकलन की अवधि में पृथ्वी की चट्टानों के मध्य में उपस्थित जलवाष्प और विभिन्न गैसों के अणु मुक्त हुए थे। जलवाष्प में संगठित होकर समुद्रों का निर्माण हुआ और गैसों से वायुमंडल का निर्माण हुआ था।
पृथ्वी कई परतों से मिलकर बनी है। प्रत्येक परत का भिन्न-भिन्न संगठन है। इस आधार पर पृथ्वी को निम्न तीन परतों में विभक्त माना गया है
पृथ्वी की 3 परतें
- भूपर्पटी
- प्रावार
- क्रोड
भूपर्पटी
अंतरिक्ष से पृथ्वी का अवलोकन करने पर पृथ्वी लगभग गोलाकार गेंद की तरह दिखाई देती है। इस गोलाकार पृथ्वी की भूपर्पटी संतरे के छिलके से तुलना कर सकते हैं। भूपर्पटी की हल्की चट्टानों से मिलकर निर्मित हुई है।इन चट्टानों में मुख्य रूप से सिलिका पाई जाती है। सिलिका से निर्मित ये चट्टाने एलुमिनियम सिलीकेट की मात्रा इनमें समृद्ध रूप से पाई जाती है।
प्रावार
भूपर्पटी से निकले हुए टल से 2900 किलोमीटर की गहराई तक के भू-भाग को भौगोलीय भाषा में प्रावार कहते हैं। यह हिस्सा आंखों से सीधे दिखाई नहीं देता यही वजह है कि इस भाग के संगठन का अध्ययन अन्य अप्रत्यक्ष विधियों के जरिए किया जाता है।
क्रोड
पृथ्वी के केंद्रीय भाग को क्रोड कहते हैं।क्रोड की त्रिज्या तकरीबन 3400 किलोमीटर होती है। यह अत्यंत गर्म हिस्सा है। क्रोड में मुख्य रूप से लोहा पाया जाता है। इसी भाग में कुछ निकल भी मौजूद होता है। क्रोड का ऊपरी हिस्सा द्रवित लोहे का बना होता है। इस के केंद्रीय भाग का ताप का जिक्र करें ,तो यह लोहे के गलनांक से भी ज्यादा है। फिर भी यह भाग ठोस लोहे का बना होता है।
यह थी कुछ जानकारी Prithvi ki utpatti kaise hui के बारे में. उम्मीद हैं आपको पसंद आई होगी.