Vitamin kitne prakar ke hote hai ( विटामिन कितने प्रकार के होते हैं ) मानव शरीर के लिए पोषण तत्व का आवश्यकता बहत जरुरी है। शरीरिक तथा मानसिक विकास के साथ साथ रोगों से लड़ने हेतु पौष्टिक आहार का सेवन नित्यान्त आवश्यक है।
खाद्य के कुछ तत्व शरीर में ऊर्जा मुहैया कराती है जब के दूसरे शरीर के गठन के साथ साथ कुछ शरीर को तंदरुस्त रखने में मदद करती है। ऐसे में विटामिन तथा जीवन सत्व मानव शरीर में कई सारे ब्याधियों से लड़ने में मदद करते। आये जानते है विटामिन कितने प्रकार के होते है।
विटामिन क्या है?
विटामिन कार्बनिक अणुयों के योगिक है जो के आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व को धारण करते है। इनकी जरुरत भले ही मानव शरीर को बहत ही कम मात्रा में होती है, पर जरुरत जरूर होती है। ये शरीर में रोग प्रतिरोधोक शक्ति को बढ़ने के साथ साथ शरीर को तंदरुस्त रखने तथा कई सारे बिमारियों से बचने में मदद करते है।
विटामिन फल, सब्जी, मछली, मांस तथा पानी में भी पाया जाता है।
विटामिन के प्रकार तथा कमी से होने वाली बीमारियां-
सभी प्रकार के विटामिन और उनसे होने वाले रोग –
विटामिन A –
विटामिन A रेटिनल के नाम से भी जाना जाता है। यह आँखों तथा त्वचा के लिए बहत जरुरी है। त्वचा के संक्रामक रोग तथा आँखों के रोग की इलाज में इसका इस्तेमाल होता है।
विटामिन A का मुख्य स्रोत-
पत्तेदार सब्जी, हरा सब्जी, आम, मछली का तेल, दूध, अंडा, मछली, सकरकंद, पपीता, मटर, मिर्च, पालक,
गाजर।
रोग –
शरीर की वृद्धि में रुकावट, मोतियाबिंद, त्वचा का शुष्क होना।
विटामिन B1-
यह विटामिन B काम्प्लेक्स के श्रेणी में आता है और थायमिन के नाम से भी जाना जाता है। यह पाचनक्रिया, रक्त संचालन तथा मस्तिष्क के विकास हेतु आवश्यक है।
स्रोत –
कुकुरमुत्ता, हरा मटर, पालक, सूरजमुखी के बीज तथा तेल, कद्दू, टमाटर, फूल गोवि, आलू, संतरा, हरा सब्जी, दूध, बीन्स, नट्स, ऐस्पैरागस आदि।
कमी से होने वाले रोग –
बेरीबेरी, हृदय रोग, बदहजमी, मस्तिष्क विकास में बाधा
विटामिन B2 –
यह रिबोफ्लोबिन के नाम से भी जाना जाता है। इम्युनिटी बढ़ने तथा तांत्रिक तंत्र को सठीक ढंग से काम करने में मददगार होते है।
स्रोत –
कुकिरमुता, अंडा, दूध, पालक
कमी से होने वाली रोग-
त्वचा फटना, आंख लाल होना, जल्दि बुढ़ापा आना
विटामिन B3-
विटामिन B3 या नियासिन तंदरुस्त ह्रदय के लिए काफी जरुरी है, इसके साथ साथ यह रक्त चाप को नियंत्रण में रखता है।
स्रोत-
अखरोट, मांस, अंडा, कुकुरमुत्ता, ब्रोक्कोली, पिस्ता बादाम, गाजर
रोग-
ह्रदय रोग, उच्च रक्तचाप, सर दर्द
विटामिन B5-
विटामिन B5 या पेंटोथेनिक एसिड बालों को सफेद होने से रोकने के साथ साथ गठिया, संक्रमण, तनाव से दूर रखता है।
स्रोत-
कुकुरमुत्ता, फूल गोवि, टमाटर, सालमोन मछली, सूरजमुखी के बीज
रोग-
मंदबुद्धि, बालों का सफ़ेद होना, गठिया
विटामिन B6-
तनाव, खून बहना, अनिद्रा, थकान दूर करने में मदद करता है।
स्रोत-
गाजर, केले, अंडा, पालक, पालक, दूध
रोग-
एनीमिया, त्वचा विकार
विटामिन B7-
यह बालों के विकाश के साथ साथ उन्हें स्वस्थ रखता है। त्वचा के लिए बेहद ही जरुरी तथा मेटाबोलिज्म प्रक्रिया को बढ़ाता है।
स्रोत-
फूल गोवि, सकरकंद, गाजर, पालक , ब्रोक्कोली, केला, तरबूज, दूध, कुकुरमुत्ता, अंडा
रोग-
लकवा मारना, बालों का झड़ना, शरीर में दर्द
विटामिन B9-
B9 या फोलिक एसिड रक्त कोशिका को बनाने में मदद करता है। इसके साथ साथ गले का दर्द, गठिया दूर करने में भी मदद करता है।
स्रोत-
संतरे, दाल, बीन्स, ब्रोक्कोली, पालक, पपीता आदि
रोग-
एनीमिया, पांडु रोग
विटामिन C-
यह हमारे शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली को सशक्त बनाता है। कई तरह के संक्रमण तथा सर्दी, तनाव, कैंसर जैसी विमारी से हमे बचाता है।
विटामिन C के मुख्य स्रोत –
आलू, ब्रोक्कोली, मिर्च, पालक, संतरे, निम्बू, अमरुद, फल, दूध
विटामिन C के कमी से होने वाले रोग
आम सर्दी, स्कर्वी, बवासीर, संक्रामक रोग
विटामिन D-
यह शरीर में कैल्शियम के बिघटन में मदद करता है। विटामिन D के बिना कैल्शियम शरीर में शोषित नहीं हो पाता।
विटामिन D के स्रोत-
अंडा, सूर्य किरण, कुकुरमुत्ता, दूध , छोटे मछली(जिनकी कटा चबाने लायक हो)
विटामिन D के कमी से होने वाले रोग –
रिकेट्स, ऑस्टिओमलासिया
विटामिन E-
यह शरीर को चिकना बनाने में मदद करता है। स्वस्थ त्वचा के लिए अति आवश्यक बन जाता है।
विटामिन E के स्रोत-
तेल, ब्रोक्कोली, अंडा, घी, पालक
विटामिन E के कमी से होने वाले रोग-
बाँझपन, ह्रुदयरोग
विटामिन K-
शरीर के अंदर रक्त को जमने न देना, मासिक धर्म में दर्द कम करना आदि में मदद करता है।
विटामिन K के मुख्य स्रोत-
टमाटर, गाजर, प्याज, केला,फुलगोवि, पालक, अवाकाडो, खीरा, ब्रुस्सेल
विटामिन K के कमी से रोग –
रक्त का थक्का जमना, मासिक धर्म में दर्द, अत्यधिक मासिक धर्म प्रवाह आदि।
आपने क्या सीखा ?
हमे आशा है की आपको Vitamin kitne prakar ke hote hai ( विटामिन कितने प्रकार के होते हैं ) विषय के बारे में दी गई जानकारी अच्छी लगी होगी। अगर आपको इस विषय के बारे में कोई Doubts है तो वो आप हमे नीचे कमेंट कर के बता सकते है। आपके इन्ही विचारों से हमें कुछ सीखने और कुछ सुधारने का मोका मिलेगा।