Bharat ka Rashtriya Pashu क्या आप इस बात से परिचित है की भारत का राष्ट्रीय पशु कौन सा है? दोस्तो जैसा कि आप सभी जानते ही होंगे देश में विभिन्न प्रकार के जानवर पाए जाते है जो अपने में बहुत शक्तिशाली होते है और उनमें कुछ न कुछ विशेषताएं होती है।
ऐसे जानवरों की काबिलियत का लाभ लगभग सभी लोगों द्वारा उठाया जाता है। लेकिन जैसे जैसे समय बीतता जा रहा है वैसे वैसे पशुओं की कमी महसूस हो रही है अर्थात पशुओं की जनसंख्या में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है।
सभी देश अपने राष्ट्रीय पहचान सामग्री को दिखाने के लिए कोई न कोई राष्ट्रीय प्रतीक होता है। वह प्रतीक चाहे पशु के रूप में,पक्षी के रूप में या फिर कोई चिन्ह के रूप में प्रदर्शित किया गया हो।
भारत का राष्ट्रीय पशु क्या है? | Bharat ka Rashtriya Pashu
भरत का राष्ट्रिय पशु बाघ हैं. भारत के राष्ट्रीय पहचान तत्वों को व्यक्त करने के लिए उनमें से एक प्रतीक बाघ (पशु) के रूप में चुना गया। बाघ (Tiger) भारत का राष्ट्रीय पशु माना जाता है।
बाघ का साइंटिफिक नाम पैंथेरा टाइग्रिस (Panthera Tigris) है। यह एक धारीदार जानवर है। इसमें फर का गाढ़ा पीला कोट होता है। दोस्तो आपके मन में एक सवाल अवश्य उठ रह होगा की, बाघ को ही क्यों भारत का राष्ट्रीय पशु घोषित किया गया।
हम आपको अगली हेडिंग में यह बताना चाहेंगे की आखिरकार बाघ को राष्ट्रीय पशु चुनने का क्या करना हो सकता है?
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राष्ट्रिय पशु
भारत के राष्ट्रीय पहचान तत्वों को व्यक्त करने के लिए भारत के कई राष्ट्रीय प्रतीक हैं। प्रत्येक राष्ट्रीय पहचान को व्यक्त करने के लिए बहुत सारे माध्यम है वो चाहे पशु,पक्षी या फिर किसी अन्य चिन्ह के जरिए हो।
ये प्रतीक भारतीय विरासत के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। भारतीयों को इन प्रतीकों पर गर्व है। राष्ट्रीय प्रतीक हर भारतीय के दिल में गर्व और देशभक्ति की भावना देते हैं। इसलिए भारतीयों की भावना को व्यक्त करने के लिए राष्ट्रीय प्रतीकों का चयन किया जाता है।
बाघ को भारत का राष्ट्रीय पशु (National animal) क्यों स्वीकार किया गया?
बहुत लोगों के मन में यह विचार जरूर आ रहा होगा की बाघ एक शक्तिशाली और गतिशील पशु है इसलिए बाघ को राष्ट्रीय पशु स्वीकार किया गया उनके विचार को नजर में रखते हुए हम यह बताएंगे की बाघ राष्ट्रीय पशु क्यों है?
बाघ को राष्ट्रीय पशु के रूप में स्वीकार करने का कारण अनुग्रह, शक्ति, चपलता और अपार शक्ति है और यह सभी गुणों द्वारा भारत की पहचान होती है।
उपर्युक्त चार विशेषताएं बाघ में कूट कूट कर विराजमान है। इन सभी गुणों को मध्य नजर रखते हुए बाघ को राष्ट्रीय पशु माना गया।
जैसा की रॉयल बंगाल टाइगर पूरे देश में पाया जाता है। रॉयल बंगाल टाइगर अपने समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास, बहुतायत, विशेषताओं और संरक्षण के प्रयासों के कारण भारत का राष्ट्रीय पशु है।
बाघ (Tiger) को राष्ट्रीय पशु (National Animal)
नेशनल वाइल्डलाइफ बोर्ड (National Wildlife Board) द्वारा अप्रैल सन 1972 को टाइगर को राष्ट्रीय पशु के तौर पर घोषित किया गया। सन 1972 में ही प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत की गई जो किसी बड़े जानवर को बचाने की एक मुहीम और असरदायक परियोजना थी।
बाघ के अवैध शिकार के कारण भारत में बाघों की संख्या लगातार कम होती जा रही थी। टाइगर को संरक्षित करने के लिए प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल के दौरान भारत सरकार द्वारा प्रोजेक्ट टाइगर शुरू किया गया था।
इस कार्यक्रम के भारत में अच्छे परिणाम आए हैं। बाघों की आबादी अब हर बाघ गणना में बढ़ रही है। पिछली बाघ गणना 2018 में बाघों की आबादी 2967 आंकी गई थी।
बाघ शारीरिक सुंदरता और आकर्षण का प्रतिनिधित्व कैसे करता है?
सभी जानवरों का एक परिवार होता है और उस परिवार के बहुत से सदस्य होते है। सदस्यों का कोई न कोई एक मुखिया होता है।
हम बात कर रहे बाघ की,बिल्ली परिवार के सबसे बड़े सदस्य के रूप में बाघ मजबूत, शक्तिशाली और प्रकृति के सबसे खतरनाक शिकारियों में से एक माना जाता हैं। उनके सुंदर नारंगी और काले धारीदार कोट रात में शिकार का शिकार करते समय छलावरण प्रदान करते हैं।
बाघ की रफ्तार लगभग 60किमी / घंटा की हो सकती है। जब बाघ अपने शिकार की ओर हो तो उसकी रफ्तार और तेज हो जाती है। बाघ को जंगलों का स्वामी भी कहा जाता है। भारत का राष्ट्रीय पशु बाघ है और यह भारत की वन्यजीव संपदा का प्रतीक है।
खोज की गई प्रजातियों की आठ प्रजातियों में से भारतीय जाति रॉयल बंगाल टाइगर (Royal Bengal Tiger) पूरे देश में पाई जाती है।
रॉयल बंगाल टाइगर कहां पाए जाते है?
रॉयल बंगाल टाइगर्स भारत के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र को छोड़कर भारतीय सबकॉन्टिनेंट में फैले हुए हैं। वे मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, ओडिशा और आंध्र प्रदेश राज्यों में ज्यादा जनसंख्या में पाए जाते हैं। यह प्रजाति भूटान (Bhutan), म्यांमार (Myanmar), बांग्लादेश (Bangladesh) और श्रीलंका (Sri Lanka) के पड़ोसी देशों में भी पाई जाती है।
रॉयल बंगाल टाइगर के साथ भारत का इतिहास
हम आपको रॉयल बंगाल टाइगर का संक्षिप्त इतिहास को कुछ झलकियां दिखाएंगे जो भारत के साथ गहरा संबंध व्यक्त करती है। रॉयल बंगाल टाइगर के साथ भारत का जुड़ाव 25 वीं शताब्दी ईसा पूर्व का है, जब इसे सिंधु घाटी सभ्यता की पशुपति मुहर पर उकेरा गया था।
उस पूर्व-आर्य समाज में मोर और गाय जैसे कई अन्य जानवरों के साथ बाघ की पूजा की जाती थी। पूर्व आर्य समाज के प्राचीन देवता शिव के पास हमेशा एक बाघ था,जो मोहनजोदड़ो की खुदी हुई मुहरों में देखा जाता है।
उत्तरी भारत में बघेल राजपूत नामक एक छोटा समुदाय बाघ उपासकों के वंशज हैं इसलिए वे कभी उनका शिकार नहीं करते हैं। भारतीय पौराणिक कथाओं में, देवी दुर्गा बाघ को अपने वाहन के रूप में उपयोग करती हैं।
रॉयल बंगाल टाइगर को भारतीय मुद्रा नोटों और डाक टिकटों पर भी प्रदर्शित किया जाता है।