विश्व आदिवासी दिवस 2023

Vishv adivasi divas

Vishv adivasi divas ( विश्व आदिवासी दिवस ) मानव विकास क्रम में चलते हुए कई सारे  उपलब्धियां हासिल करने के साथ साथ सफलता की शीर्ष पर पहंच चूका है। मगर आज भी देश तथा दुनिया भर में ऐसे कुछ समुदाय है जो के समाज के मुख्य स्रोत से पीछे चल रहे है। 

अपने परंपरा, संस्कृति तथा जीवन शैली को समेटे अपने अलग ही एक स्वतंत्र परिचय दुनियाभर में जाहिर करने में सक्षम रहे है। आज हम बात कर्म वाले है दुनिया भर की ऐसी एक समुदाय के बारे में जिन्हें हम आदिवासी कहते है और जानते है ” विश्व आदिवासी दिवस ” के महत्व तथा उद्वेश्य के बारे में।

आदिवासी कौन है? | Vishv adivasi divas

“आदिवासी” शब्द की अगर हम व्याख्या करे तो यह “आदि” और “वासी” शब्द का सम्मलेन मालूम होता है, जिससे हमें पता लगता है कि ये वे लोग है जो किसी क्षेत्र तथा प्रदेश के सबसे शुरुआती जन समुदाय है। जिनको अंग्रेजी में indigenous कहा जाता है। ये लोग भारत समेत सभी महादेश, द्वीप समूह में मानव सभ्यता के सुरुवाती समय से रह रहे है। 

माया, ज़ेपोटेक, आदिवासी(भारत में संताल, बोरो, हो, मुंडा आदि), मसाई, हिम्बा आदि कुछ मूल निवासी है। पुराने समय से जंगल के ऊपर निर्भर तथा सुरक्षा करने वाले यह लोग घने जंगल के अंदर रहते है। जंगलेजात पदार्थ के ऊपर अपने गुजारा करते यह लोग जंगल की सुरक्षा तथा विकास को प्राथमिकता देते आये है। 

ज्यादातर आदिवासी मूल निवासी कुछ निर्दिष्ट तथा विशेष धर्म से न जुड़े प्रकृति को ही भगवान मानकर उसकी उपासना करते आये है। इसके साथ साथ अपने खुद की कला, संस्कृति और परंपरा के विकाश के साथ साथ भव्य निर्माण(मयान सभ्यता के मन्दिर एक नमूना मात्र) में भी यह उत्कृष्ट रहे है। 

प्रकृति में उपस्थित हर जिव और निर्जी जैसे नदी, झरना, पहाड़, बृक्ष, पशु आदि के पूजा तथा संरक्षण में इनका योगदान श्रेष्ठ रहा है। बिडम्बना का विषय यह के आज ये आदिवासी लोग अपने हक़ से सुविधा से कोशो दूर है। शहरीकरण, बढ़ते आवादी के लिए नगर तथा शिल्प के विकाश के साथ इनका प्राकृतिक वास में घटाव परिलक्षित होते है। 

विश्व में आदिवासियों के संख्या- | Vishv adivasi divas

विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ो के माने तो आज दुनिया भर में 476 मिलियन (47 करोड़ 60 लाख) से भी ज्यादा आदिवासी लोग लगभग 90 देशों में महजूद है। जो के 7000 से भी ज्यादा भाषा और 5000 से भी ज्यादा संस्कृति को समेटे हुए है। 

आदिवासियों के अधिकारो की जरुरत क्यों है ?

अधिकार तथा विशेष करके मानव अधिकार हर इंसान के जन्मगत अधिकार है। यह अधिकार एक सुरक्षित जीवन निर्वाह करने तथा अपने संस्कृति और परंपरा को वाजाये रखने में मदद करती है। 

कई देशों में देखा गया है कि आदिवासियों पर अत्याचार, समाज के मुख्यस्रोत में शामिल न करना, तथा शिक्षा से दूर होने के वजह से अपने वजूद को खोने का दर लगा रहता है। इसी संदर्भ में विमर्ष करते हुए तथा उनके अस्तित्व को बचाने के लिए बाकि लोगों के तरह उनके भी अधिकार को सुरक्षित रखना तथा निश्चित करना हर देश की सरकार का कर्तव्य है।

vishwa adivasi diwas 2023

विश्व आदिवासी दिवस कब मनाया जाता है ?

हर साल अगस्त महीने के 9 तारीख को विश्व भर में आदिवासी दिवस का पालन होता है। संयुक्त राष्ट्र महासंघ को जब यह ज्ञान हुआ कि आदिवासी तथा इनके समूह में जागरूकता के कमी के वजह से अपने मौलिक अधिकार से बंचित हो रहे है तथा इनके पर्यावरण के संरक्षण में योगदान को सराहते हुए 1994 दिसम्बर के बैठक में विश्व भर के आदिवासीयों के अधिकार को सुरक्षा देने तथा लोगों के बिच जागरूकता फैलाने के मकसद से हर साल 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के तौर पे पालन करने की घोषणा की। 

संयुक्त राष्ट्र महासंघ द्वारा इनके मानव अधिकार, सामाजिक अधिकार और पर्यावरण संरक्षण में भरी योगदान के लिए हर देश को प्रोत्साहित किया जाता है।     इसके अलावा इनके कला, संस्कृति और धरोहर को मान्यता देने के साथ साथ विश्व भर में इनका प्रचार भी करते है। 

2023 के “विश्व आदिवासी दिवस ” का थीम –

हर साल विश्व आदिवासी दिवस पर एक थीम चुनकर उस पर काम किया जाता है। इस साल के लिए थीम है “The role of indigenous women in the preservation and transmission of traditional knowledge”. जिसका अर्थ होता है ” पारंपरिक ज्ञान के संरक्षण और प्रसार में आदिवासी महिलायों के भूमिका “। 

महिलाएं समाज के वो कड़ी है जिनके बिना यह समाज बिखरने में समय नहीं लगेगा। महिलाओं के अपने परिवार और समाज के आरती निष्ठा के वजह से हम एक नए दौर में सामिल हो सकते है। 

अपने पुरखों का ज्ञान और परंपरा को महिलाएं एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी तक लाते है। इस बार महिलायों को विशेष रूप से ध्यान में रखकर उनके विकाश तथा समाज के लिए उनके अवदान को स्वीकार कर साराह जाने का प्रयास हो रहा है।

विश्व आदिवासी दिवस के प्रतीक –

बांग्लादेश के एक लड़के रेवांग दीवान के द्वारा बनाई एक कला कृति को संयुक्त राष्ट्र महासंघ द्वारा प्रतिक के रूप में स्वीकार किया गया है। जिसमे एक पृत्वी जैसे ग्रह के दोनों तरफ हरे रंग के दो पत्तियों के सृंखला समान्तर से एक दूसरे के और है। ग्रह के बीच में दो अलग हाथ हैण्ड शेक करते नजर आएंगे। 

आदिवासी और पर्यावरण –

यह समूह जंगलों में रहने के साथ साथ इनके संरक्षण में भी अहम भूमिका निभाते आये है। समय समय पर प्रकृति की सुरक्षा के लिए ये कई सारे आंदोलन देश तथा दुनिया भर में करते आये है। जंगल के ऊपर निर्भर करके अपने जीवन व्यतीत करने के कारण अगर जंगल तथा पर्यावरण को हानि पहंच तो उनके आवास स्थल को भी हानि पहंच सकता है यह इन्हें बखूबी मालूम है। 

जहां हम विश्वतापन के समस्या से जूझते आ रहे है वही ये नए जंगल तथा पेड़ पौधों को लगाकर प्रकृति की सुरक्षा काफ्ट आये है। “जंगल रहेगा तो आदिवासी रहेंगे, आदिवासी रहेंगे तो जंगल रहेगा “। 

इसके तात्पर्य को समझते हुए हमें भी उनके संस्कृति और परंपरा को सम्मान देना होगा। समाज के उन्नति तथा पर्यावरण के सुरक्षा के लिए मिलजुल कर काम करने से ही हम एक सुरक्षित बातावरण का निश्चित कर सकते है। 

पुरे विश्व के साथ इस बार भी हम सब August 9 तारीख को इन आदिवासियों के सम्मान में ” विश्व आदिवासी दिवस ” का पालन करते हुए समाज तथा देश भर के लोगों में इनके बारे में जागरूकता फैलाना होगा।

आशा है आप सबको हमारा यह पोस्ट “विश्व आदिवासी दिवस” काफी पसंद आया होगा। पोस्ट के बारे में अपना विचार हमे जरूर कंमेंट बॉक्स में लिखकर बताये ।

आपने क्या सीखा ?

हमे आशा है की आपको Vishv adivasi divas ( विश्व आदिवासी दिवस ) विषय के बारे में दी गई जानकारी अच्छी लगी होगी। अगर आपको इस विषय के बारे में कोई Doubts है तो वो आप हमे नीचे कमेंट कर के बता सकते है। आपके इन्ही विचारों से हमें कुछ सीखने और कुछ सुधारने का मोका मिलेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *