Proton ki khoj kisne ki नमस्कार दोस्तों, हमारे देश और दुनिया में विज्ञान ने वर्तमान में काफी तरक्की की हैं। ऐसे में हम इस बात के बारे में भी जानने के लिए उत्सुक हैं की आखिर विज्ञान की दुनिया में प्रोटोन की खोज किसने की ?
हमारे इस लेख में आपको इसी के बारे में बताया जा रहा हैं। इस लेख में आपको इसके बारे में पूरी जानकारी दी जायेगी।
Proton ki khoj kisne ki
न्यूट्रॉन की खोज गोल्डस्टीन नामक वैज्ञानिक ने की थी।
प्रोटोन क्या होता है?
प्रोटोन एक धनात्मक विद्युत आवेश से युक्त आयन होता है जो कि किसी परमाणु के नाभिक में न्यूट्रॉन के साथ संयुक्त अवस्था में पाया जाता है। मुख्यतः प्रोटॉन को p के प्रतीक के रूप में दर्शाया जाता है यदि हम किसी जगह प्रोटोन का यूज करते हैं तो उसे इसी प्रति के रूप में लिखते हैं।
प्रोटोन पर मुख्यतः धन आवेश होता है जब कि हमने न्यूट्रॉन में देखा है कि न्यूट्रॉन पर आवेश नहीं होता है न्यूट्रॉन आवेश रहित होता है। एक प्रोटोन मुख्यतः तीन कणों से मिलकर बना होता है। प्रोटोन स्वतंत्रत अवस्था में H+ आयन के रूप में पाया जाता है।
प्रोटॉन की खोज किसने की थी?
प्रोटॉन की खोज गोल्डस्टीन नामक वैज्ञानिक ने की थी। प्रोटोन प्राणुफर्मिऑन होते है जो कि प्रोटोन की तुलना में प्रचक्रण होती है और यह तीन क्वार्क से मिलकर बने होते है। यह बेर्यॉन हेड्रॉन का एक प्रकार के रूप में होते है।
इनके दो अप-क्वार्क एवं एक डाउन-क्वार्क आपस में strong force से जुडे होते है प्रोटोन और न्यूट्रॉन का जोडा न्युक्लिऑन कहलाता है जो कि परमाणु नाभिक में nuclear force से आपस में बंधे होते है। प्रोटॉन और न्यूट्रॉन दोनों एक साथ किसी तत्व के नाभिक में आपस में परमाणु बंध द्वारा जुड़े होते हैं।
प्रोटोन
प्रोटोन ही एक मात्र ऐसा तत्व है जिसके परमाणु नाभिक में प्राणु अकेला पाया जाता है परमाणु ही मुख्यतः न्यूट्रॉन और प्रोटॉन से मिलकर बना होता है अन्यथा अन्य सभी परमाणु के नाभिक में प्रोटोन और न्यूट्रॉन के साथ पाया जाता है।
प्रोटोन परमाणु के नाभिक में केवल एक प्रोटोन होता है जबकि न्यूट्रॉन नहीं होता है जबकि इसके दो भारी समस्थानिक ड्यूटेरियम में एक प्रोटोन व एक न्यूट्रॉन एवं ट्रिटियम में एक प्रोटोन व दो न्यूट्रॉन होते है। न्यूट्रॉन और प्रोटॉन के दोस्त समस्थानिक होते हैं न्यूट्रॉन के समस्थानिक को ड्यूटीयम कहते हैं जबकि प्रोटोन के समस्थानिक को ट्रिटियम कहते हैं।
प्रोटोन पर स्थित परमाणु कण जिन पर इलेक्ट्रॉन आवेश होता है। प्रोटोन पर स्थित परमाणु आवेश का द्रव्यमान 1.67262×10-27 किलोग्राम होता है। यह लगभग इलेक्ट्रॉन के द्रव्यमान का 1836 गुणा होता है। परमाणु सारणी में हाइड्रोजन को छोड़कर क्योंकि हाइड्रोजन में केवल एक प्रोटोन होता है इसके अलावा सभी परमाणुओं में एक परमाणु नाभिक होता है।
आधुनिक आवर्त सारणी में दिए गए सभी रासायनिक तत्व और उस रासायनिक तत्वों के परमाणु नाभिक में समान संख्या में प्रोटॉन होते हैं और यह प्रकरण संख्या यह बताती है कि किसी तत्व के परमाणु संख्या और आवर सारणी में तत्वों की ओर स्थिति को यह निर्धारित करता है। परमाणु धनावेशित प्रोटॉन और विद्युत रूप से उदासीन न्यूट्रॉन होता है।
प्रोटॉन की खोज परमाणु संरचना की शुरुआती जांच के समय की है। आयनित गैसीय परमाणुओं और अणुओं की धाराओं का अध्ययन करते समय जिनसे इलेक्ट्रॉनों को बाहर निकाल लिया गया था। विल्हेम वियन औरजे जे थॉमसन ने द्रव्यमान के बराबर एक सकारात्मक कण की पहचान कीहाइड्रोजन परमाणु।
अर्नेस्ट रदरफोर्ड ने दिखाया कि अल्फा-कण बमबारी के तहत नाइट्रोजन हाइड्रोजन नाभिक के रूप में प्रकट होता है। 1920 तक उन्होंने हाइड्रोजन नाभिक को एक प्राथमिक कण के रूप में स्वीकार कर लिया था इसे प्रोटॉन के रूप में पहचाना गया था।
बीसवीं शताब्दी के अंत तक उच्च ऊर्जा वाले कणों को भौतिक विज्ञान में इस प्रकार उन में स्थापित प्रोटोन की संख्या को बताया गया था कि प्रोटोन की संरचना एक नाभि के अंदर परिकल्पित होती है।
किसी परमाणु का नाभिक प्रोटॉन और न्यूट्रॉन के छोटे-छोटे कणों से मिलकर बना होता है और इन्हें एक नागरिक के रूप में वर्गीकृत किया जाता है प्रायोगिक रूप से एक पदार्थ को उसकी प्रमुख तीन इकाइयों के रूप में जाना जाता है।
यदि किसी परमाणु की अन्य परमाणु से अभिक्रिया करवाई जाती है तो आमतौर पर उत्पाद के रूप में बनने वाला रसायनिक पदार्थ की प्रोटोन की प्राथमिक ब्रह्मांड यह के मुख्य घटक होते हैं और कुछ इस प्रकार कृत्रिम अभिक्रिया से यह उत्पाद निर्मित होते हैं।
यह थी कुछ सामान्य जानकारी Proton ki khoj kisne ki के बारे में।