Sindhu Ghati Sabhyata in Hindi ( सिन्धु घाटी सभ्यता हिंदी में ) भारत का प्राचीन इतिहास सिन्धु घाटी सभ्यता से ही शुरू हुआ माना जाता है। सिन्धु सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है। सिन्धु घाटी सभ्यता का विस्तार वर्तमान पाकिस्तान, पंजाब, हरियाणा राजस्थान और गुजरात तक माना जाता है।
भारत की प्राचीनतम संस्कृति में से सबसे पुराणी और सबसे पहली सभ्यता मानी जाती है जहा पर मानव के अवशेष मिले थे। सिन्धु घाटी सभ्यता को सिन्धु नदी के किनारे बसे होने के कारण इस सभ्यता का नाम सिन्धु घाटी सभ्यता के नाम से जाना जाता है।
सिन्धु घाटी सभ्यता के बारे में जानकारी
भारत की सबसे प्राचीन सभ्यता सिन्धु सभ्यता की खोज का श्रेय दयाराम साहनी को जाता है। इस सभ्यता की खुदाई सबसे पहले एक अंग्रेज अधिकारी सर जॉन मार्शल के निर्देशन में साल 1921 में हुई थी।
इस खुदाई के समय के लगभग एक साल बाद यानी साल 1922 में रखल दास बनर्जी को इस सभ्यता से मोहनजोदाडो से ( वर्तमान पाकिस्तान के सिंध प्रान्त का लरकाना जिला ) बौध स्तूप की खुदाई में एक स्थान का पता चला था। इस स्थान की खुदाई के बाद इसे माना गया की इस सभ्यता का विस्तार सिन्धु नही तक विस्तृत था।
सिन्धु नदी के किनारे स्तिथि होने की वजह से इस सभ्यता की सिन्धु घाटी सभ्यता नाम दिया गया था। वर्तमान में इसे सिन्धु घाटी सभ्यता के नाम से जाना जाता है। इस खुदाई में सबसे पहला शहर हड़प्पा मिला था जिस वजह से हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है। इस सभ्यता के दो सबसे बड़े शहर है जिसमे से एक हड़प्पा और दूसरा मोहनजोदाड़ो था।
सिन्धु सभ्यता की खोज
सिन्धु घाटी सभ्यता की खोज का श्रेय दयाराम साहनी को जाता है। दयाराम साहनी ने इस सभ्यता की खोज पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के निदेशक सर जॉन मार्शल के निर्देशन में की थी। इस सभ्यता की पहली खुदाई साल 1921 में की थी जब अंग्रेज रेलवे का विस्तार करना चाहते थे और उसके लिए जमीन की खुदाई के दोहरान उन्हें इस सभ्यता से जुड़े कुछ अवशेष मिले थे। जिसके बाद इस स्थल की खुदाई की गई।
सिंधु घाटी सभ्यता के नगर
सिन्धु घाटी सभ्यता की खुदाई में वैसे तो कई शहरो के अवशेष मिले है और साथ ही कुछ गाँव की संस्कृति के बारे में भी पता चला है। बावजूद इसके सिन्धु सभ्यता में यह कुछ नगर है जो की काफी प्रसिद्ध थे। यह वो सभी नगर है जिनके नाम इस प्रकार है –
- हड़प्पा ( वर्तमान में पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में )
- मोहनजोदाड़ो ( वर्तमान में पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में )
- चन्हुदड़ो ( वर्तमान में पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में )
- लोथल ( वर्तमान में भारत के गुजरात प्रान्त में )
- कालीबंगा ( वर्तमान में भारत के राजस्थान प्रान्त में )
- हिसार ( वर्तमान में भारत के हरियाणा प्रान्त में )
- बणावली ( वर्तमान में भारत के हरियाणा प्रान्त में )
सिन्धु सभ्यता के कुछ नगर जिनके बारे में संक्षिप्त जानकारी –
स्थल | खोजकर्त्ता | अवस्थिति | महत्त्वपूर्ण खोज |
हड़प्पा | दयाराम साहनी(1921) | पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मोंटगोमरी जिले में रावी नदी के तट पर स्थित है। | मनुष्य के शरीर की बलुआ पत्थर की बनी मूर्तियाँअन्नागारबैलगाड़ी |
मोहनजोदड़ो(मृतकों का टीला) | राखलदास बनर्जी(1922) | पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के लरकाना जिले में सिंधु नदी के तट पर स्थित है। | विशाल स्नानागरअन्नागारकांस्य की नर्तकी की मूर्तिपशुपति महादेव की मुहरदाड़ी वाले मनुष्य की पत्थर की मूर्तिबुने हुए कपडे |
सुत्कान्गेडोर | स्टीन (1929) | पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिमी राज्य बलूचिस्तान में दाश्त नदी के किनारे पर स्थित है। | हड़प्पा और बेबीलोन के बीच व्यापार का केंद्र बिंदु था। |
चन्हुदड़ो | एन.जी. मजूमदार(1931) | सिंधु नदी के तट पर सिंध प्रांत में। | मनके बनाने की दुकानेंबिल्ली का पीछा करते हुए कुत्ते के पदचिन्ह |
आमरी | एन.जी. मजूमदार (1935) | सिंधु नदी के तट पर। | हिरन के साक्ष्य |
कालीबंगन | घोष(1953) | राजस्थान में घग्गर नदी के किनारे। | अग्नि वेदिकाएँऊंट की हड्डियाँलकड़ी का हल |
लोथल | आर.राव(1953) | गुजरात में कैम्बे की कड़ी के नजदीक भोगवा नदी के किनारे पर स्थित। | मानव निर्मित बंदरगाहगोदीवाडाचावल की भूसीअग्नि वेदिकाएंशतरंज का खेल |
सुरकोतदा | जे.पी. जोशी(1964) | गुजरात। | घोड़े की हड्डियाँमनके |
बनावली | आर.एस. विष्ट(1974) | हरियाणा के हिसार जिले में स्थित। | मनकेजौहड़प्पा पूर्व और हड़प्पा संस्कृतियों के साक्ष्य |
धौलावीरा | आर.एस.विष्ट(1985) | गुजरात में कच्छ के रण में स्थित। | जल निकासी प्रबंधनजल कुंड |
सिन्धु घाटी सभ्यता में मिला दुर्ग
सिन्धु सभ्यता की खुदाई के दोहरान यहा एक टीलेनुमा दुर्ग भी मिला है। इतिहासकार ऐसा मानते है की इस टीले का निर्माण संभवतः राज्य की रक्षा हेतु बनाया होगा। खुदाई के बाद इस टीले को माउन्ट ए-बी नाम दिया गया है। इस दुर्ग के चारो और सुरक्षा हेतु बनाई तक़रीबन 45 फीट की एक दिवार है जो की काफी मजबूत है।
इसके अलावा इस टीले में जगह – जगह पर सैनिकों के बैठने हेतु बंकर भी बनाये गये है। दुर्ग के अंदर प्रवेश करने हेतु उत्तर और दक्षिण में रस्ते भी थे जिससे किले के रक्षक उस किले में आते और जाते।
सिन्धु सभ्यता में मिली ईमारते
सिन्धु सभ्यता की खुदाई के दोहरान कई तरह की ईमारते भी मिली है। जिनमे से यह कुछ निम्न है –
- दुर्ग
- रक्षा प्राचीर
- निवासगृह
- चबूतरे
- अन्नानगर।
सिन्धु सभ्यता का विस्तार
सिन्धु सभ्यता का विस्तार अगर हम देखे तो इस सभ्यता का विस्तार वर्त्तमान में पाकिस्तान, राजस्थान, हरियाणा और गुजरात तक माना जाता है। सिन्धु सभ्यता का विस्तार मुख्य रूप से सिन्धु नदी के किनारे हुआ था। वही इस सभ्यता का कुछ हिस्सा जम्मू, महाराष्ट्र, अफगानिस्तान और उत्तर प्रदेश में भी देखने को मिलता है।
सिन्धु सभ्यता का पतन
सिन्धु सभ्यता का पतन कैसे हुआ, इसके बारे में अब तक किसी के पास कोई संतोषप्रद जवाब नही है। लेकिन कुछ इतिहासकार इसके बारे जो भी कहते है जैसे इस सभ्यता का पतन लगभग 1800 ई।पू में हो गया था। इसके पीछे कई तर्क है।
- कुछ तर्क कहते है की इस सभ्यता पर इंडो – यूरोपियन जनजाति ने आक्रमण किया था जिस वजह से यह नष्ट हुई।
- वही एक और तर्क तो यह भी कहते है की इस सभ्या का पतन प्राकृतिक आपदा के कारण हुआ था।
आपने क्या सीखा ?
हमे आशा है की आपको Sindhu Ghati Sabhyata in Hindi ( सिन्धु घाटी सभ्यता हिंदी में ) विषय के बारे में दी गई जानकारी अच्छी लगी होगी। अगर आपको इस विषय के बारे में कोई Doubts है तो वो आप हमे नीचे कमेंट कर के बता सकते है। आपके इन्ही विचारों से हमें कुछ सीखने और कुछ सुधारने का मोका मिलेगा।