भारतीय संविधान में कितने मौलिक अधिकार है और उनका वर्णन

Samvidhan me adhikar ( संविधान में अधिकार ) नमस्कार दोस्तों, हमारा देश एक लोकतांत्रिक देश है और हमारे देश में शासन प्रशासन हेतु संविधान बनाया गया है। इसी संविधान में देश के नागरिको के लिए कुछ अधिकारों का वर्णन है, आईये जानते है इनके बारे में विस्तार से – 

संविधान में अधिकार

भारतीय संविधान के भाग 3 में भारत के नागरिकों के लिए कुछ अधिकारों का वर्णन है। अगर हम संविधान में वर्णित अधिकरों की बात करें तो भारतीय सविधान में 7 अधिकार है जो हर नागरिक के हितार्थ बनाये गये है। 

संविधान में कितने अधिकार है?

भारतीय संविधान में हर नागरिक हेतु कुल 7 मूल अधिकारों का वर्णन है। यह साथ अधिकार इस प्रकार है : 

  • समता या समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से अनुच्छेद 18)
  • स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19 से 22)
  • शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23 से 24)
  • धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28)
  • संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29 से 30)
  • संवैधानिक अधिकार (अनुच्छेद 32)

भारतीय संविधान के अनुसार यह सभी अधिकार निम्नं है।

समता या समानता का अधिकार

समता या समानता का अधिकार का वर्णन भारतीय संविधान के भाग 3 के अनुच्छेद 14 से 18 में मिलता है। समानता का अधिकार का मतलब होता है देश के हर नागरिकों को समानता से देखा जाए। किसी को छोटा नही समझा जाए। 

देश के नागरिक के साथ रंग, निषेद, धर्म, वंश और जाति के आधार पर भेदभाव नही किया जाए, अनुच्छेद 14 से 18 में वर्णित इसी की जानकारी का वर्णन मिलता है. 

स्वंत्रता का अधिकार 

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 से 22 में देश के हर नागरिक के पास स्वतंत्रता का अधिकार होता है। देश का कोई भी नागरिक स्वतंत्र है अपने धर्म को मानने के लिए, बोलने या अपनी बात रखने के लिए, संघ बनाने की इत्यादि की स्वंत्रता है। 

शौषण के विरुद्ध अधिकार 

भारतीय संविधान में शौषण के विरुद्ध लड़ने के लिए भी नागरिकों के पास कुछ अधिकार है जिनका वर्णन भारतीय संविधान में अनुच्छेद 23 और 24 में मिलता है। अगर किसी नागरिक के साथ दुर्व्यवहार या किसी तरह की ऐसी घटना होती है जिसमे उसके साथ शौषण होता है तो वो उसके खिलाफ आवाज उठा सकता है। 

अनुच्छेद 24 में तो यह भी वर्णित है की अगर कोई 14 वर्ष से कम कोई मजदूरी करता है तो उसे भी शौषण के क्षेत्राधिकार में लाया जाता है और ऐसा होने से रोका जाता है। 

धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार

भारतीय संविधान में अनुच्छेद 25 से 28 में नागरिकों हेतु धार्मिक स्वतंत्रता की स्वतंत्रता का भी वर्णन मिलता है। कोई भी व्यक्ति अपने धर्म का प्रचार-प्रसार कर सकता है और अपने धर्म को मान सकता है और उसके अनुसार सारे कार्य कर सकता है जो धार्मिक आस्था से जुड़े हो। 

संस्कृति और शिक्षा का अधिकार 

संविधान के अनुच्छेद 29 से 30 में नागरिकों हेतु संस्कृति और शिक्षा के सन्दर्भ में अधिकारों का वर्णन है। कोई भी नागरिक जो भारत का नागरिक है वो अपने धर्म, संस्कृति के अनुसार किसी भी संस्थान में प्रवेश ले सकता है और उसमे पढाई कर सकता है। 

संवैधानिक उपचारों का अधिकार

संविधान के अनुच्छेद 32 में अधिकारों को परावर्तित कराने हेतु समुचित कार्यवाही हेतु न्यायालय में आवेदन करने का अधिकारों का वर्णन है। इस सन्दर्भ में न्यायलय में रिट लगाने हेतु यह निम्न शक्ति प्रदान की गई है : 

  • बंदी प्रत्यक्षीकरण
  • परमादेश
  • प्रतिषेध लेख
  • उत्प्रेषण
  • अधिकार पृच्छा लेख 

यह सभी इस प्रकार है।

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