Maa par kavita ( माँ पर कविता ) नमस्कार दोस्तों, माँ वो जिसके बारे में कितने भी शब्द कहे वो कम है. माँ अगर हमारे पास ना होती है तो हमारा घर में मन नही लगता है. माँ अगर एक मिनट के लिए दूर चली जाए तो घर सूना सूना सा लागता है. मेरी माँ मेरी जीवन की प्रेरणा है.
माँ का सुबह हमारे उठने से पहले उठ जाना और सब के खाना खाने के बाद खाना खाना. ऐसी कई वाक्य जो माँ के बारे में बताते है. जीवन में दोस्त, यार या लड़की दोस्त नहीं हो तो चलता है पर पास माँ ना हो तो हम हमेशा अधूरापन महसूस करते है.
इस लेख में हम आपको ऐसी ही कुछ कविता के बारे में बताने जा रहे है जो माँ प्यार, बलिदान और माँ का हमारे प्रति त्याग के बारे में बताती है. आईये देखते है माँ पर कविता के बारे में विस्तार से –
माँ पर कविता
माँ पर लिखी यह कुछ कविता जो आपका मन मोह सकती है –
#1
दिन भर माँ मजदूरी करती ताकि हम भूखे ना सो सके,, गरीबी के आँचल में माँ ने हमेशा ही हमे अमीरी की चादर ओडाई है
#2
“वह माँ ही है जिसके रहते
जिंदगी में कोई गम नहीं होता
दुनिया साथ दे या ना दे पर
माँ का प्यार कभी कम नहीं होता”
#3
“माँ ने आखिरी रोटी भी मेरी थाली में परोस दी,
जानें क्यों फिर भी मंदिर में भगवान ढूढ़ता हूँ मैं
माँ के दिल जैसा दूनियाँ में कोई दिल नहीं…)”
#4
“ठोकर न मार मुझे पत्थर नहीं हूँ मैं
हैरत से न देख मुझे मंज़र नहीं हूँ मैं
तेरी नज़रों में मेरी क़दर कुछ भी नहीं
मेरी माँ से पूछ उसके लिए क्या नहीं हूँ मैं”
#5
“दिन भर की मशक़्क़त से बदन चूर है लेकिन
माँ ने मुझे देखा तो थकान भूल गई है”
#6
“तेरे क़दमों में ये सारा जहां होगा एक दिन
माँ के होठों पे तबस्सुम को सजाने वाले”
#7
“मैं जो कुछ भी हूँ या होने की आशा रखता हूँ उसका श्रेय सिर्फ मेरी माँ को जाता है”
“माँ भगवान का ही रूप होती है”
#8
“भगवान सभी जगह नहीं हो सकते इसलिए उन्होंने माँ को बनाया”
#9
“उम्रभर ओ माँ तू मोहब्बत से मेरी खिदमत रही
अब मैं खिदमत लायक हुआ तो तू चल बसी”
#10
“ये लाखों रूपए मिट्टी हैं
उस एक रुपये के सामने
जो माँ हमें स्कूल जाते समय देती थी”
#11
“मैं करता रहा सैर
जन्नत में रात भर
सुबह उठकर देखा
तो सर माँ के क़दमों में था”
#12
“माँ और क्षमा दोनों एक हैं
क्यूंकि माफ़ करने में दोनों नेक हैं”
#13
“तुम क्या सिखाओगे मुझे प्यार करने का सलीका
मैंने माँ के एक हाथ से थप्पड़ तो दुसरे हाथ से रोटी खायी है”
#14
“जब हमें बोलना नहीं आता था तो माँ समझ जाती थी
आज हम हर बात पर कहते हैं माँ तू नहीं समझेगी”
#15
“बचपन में चोट लगते ही माँ हल्की फूंक मारकर कहती थी बस ठीक हो जायेगा
वाकई माँ की फूंक से बड़ा कोई मरहम नहीं बना”
अंतिम शब्दहमारे इस लेख मे आपको Maa par kavita ( माँ पर कविता ) के बारे मे बताया गया है। उम्मीद है आपको हमारा यह लेख पसंद आय होगा। इस जानकारी को अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करे।