नवरात्रि का प्रथम दिन : मां शैलपुत्री की कैसे करें पूजा, जानिए मंत्र और स्तोत्र

navratri ka pahla din

नवरात्रि का पहला दिन : माँ की पूजा, शैलपुत्री की पूजा, पूजा की विधि, पूजा का शुभ मुहुर्त, पूजा कैसे करे। माँ को खुश कैसे करे | Navratri ka pahla din : Maa ki pooja, shailputri ki pooja, pooja ki vidhi, pooja ka muhurt, pooja kaise kare  

नवरात्रि के 9 दिवस की नवरात्रि में पहले दिन माँ शैलपुत्री होती है। यह माता का पहला रूप है। शैल का मतलब होता है हिमालय। माता के इस पहले दिन की मान्यता है की माँ को हिमालय की पुत्री माना जाता है। इसी कारण माँ को शैलपुत्री के नाम से पूजा जाता है। माँ को प्रसन्न करने हेतु क्या करना चाहिए यह आपको बतायेंगे। माँ को खुश करने पर माँ हर मनोकामना पूरी करती है। 

नवरात्रि का पहला दिन : शैलपुत्री की पूजा

नवरात्रि के पहले दिन दुर्गा माँ की पूजा शैलपुत्री के रूप में की जाती है। इस दिन माँ का हिमालय से सती के रूप में अवतार हुआ था जो की माँ का पहला रूप है। पहले दिवस माँ की पूजा इस तरह से कर सकते है। 

पूजा की विधि

सबसे पहले एक चौकी बनाये और उस पर लाक कलर के कपडे पर माँ शैलपुत्री की मूर्ति की स्थापना करे। इसके उस चौकी के ऊपर केशर से लिखे। उसके बाद उस के ऊपर मनोकामना पूर्ति गुटिका रखे। इसके बाद माँ शैलपुत्री का ध्यान करे। 

इसके बाद इन मन्त्रों का जाप करे 

पूजा के समय बोले जाने वाले मंत्र 

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम:।

इस मंत्र का जप करने के साथ ही पुष्प को मनोकामना पूर्ति और माँ की तस्वीर और मूर्ति पर छोड़ दे। पुष्प अर्पित करे और माँ शैलपुत्री को याद करे। इस मंत्र का जाप 108 बार करे। 

ॐ शं शैलपुत्री देव्यै: नम:।

108 बार माँ के मंत्रों का जाप पूर्ण करने पर माँ के सामने अपनी मनोकापना व्यख्त करे और आरती और कीर्तन करे। मंत्र के साथ ही पुष्प को माँ की तस्वीर पर छोड़ दे। इसके बाद माँ को भोग अर्पित करे और इस मंत्र का जाप करे। इस मंत्र को 108 बार करे। 

ध्यान मंत्र 

वन्दे वांच्छित लाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्

वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्

इस मंत्र का अर्थ समझने का प्रयास करते है तो इसमें बताया गया है की माँ वृषभ पर विराजित है। मान के दाए हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल शुशोभित है। यह माँ दुर्गा का पहला रूप है। 

स्त्रोत पाठ

प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागर: तारणीम्।

धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यम्॥

त्रिलोजननी त्वंहि परमानंद प्रदीयमान्।

सौभाग्यरोग्य दायनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यहम्॥

चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह: विनाशिन।

मुक्ति भुक्ति दायनीं शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥

नवरात्रि के पहले दिन माँ को खुश करे, आपकी हर मनोकामना पूर्ण होगी।

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