Dharmo rakshati rakshitah shlok meaning in hindi नमस्कार दोस्तों, संस्कृत भाषा में ऐसे कई श्लोक हैं जो सीधे हमारे जीवन के साथ जुड़े हुए होते हैं. ऐसे ही संस्कृत श्लोक में से एक श्लोक हम आपके लिए लेकर आये हैं जो सीधे आपके जीवन से जुड़ा हुआ रहता हैं.
यह श्लोक धर्मो रक्षति रक्षितः के नाम से जाना जाता हैं. इस श्लोक के बारे में एवं इस श्लोक के अर्थ के बारे में आपको इस लेख में बताया जा रहा हैं.
धर्मो रक्षति रक्षितः | Dharmo rakshati rakshitah shlok meaning in hindi
इस पंक्ति में धर्मो रक्षति रक्षितः कई बातें कह दी गई है। यदि इसे कोई स्वस्थ दिमाग वाला समझने की कोशिश करता है तो इसका सीमित शब्दों में अर्थ धर्म की रक्षा करने से है. लेकिन जानकारी के अभाव वो अपनी मनगढ़ंत परिभाषाएं देकर समझने और समझाने का बेफिजूल में प्रयास करता है।
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वास्तव में तीन वाक्यों की संस्कृत की यह पंक्ति से ली गई। इस पंक्ति में अत्यंत व्यापक और विशाल अर्थ अपने आप में समेटे हुए हैं। सहज शब्दो में धर्म ही इस चराचर जगत और संपूर्ण जीवो के जीवन का मूल है।
धर्म के बगैर ना किसी की कल्पना की जाना संभव है और ना ही मानव जीवन बिना धर्म के अपने आप में संपूर्ण है। धर्म के अभाव में यह विश्व ही श्रीहीन होता जाएगा। इस पर ना किसी प्राणशक्ति का वास होगा और ना ही किन्ही पुण्य विचारों का ही जन्म होना संभव है।
धर्मो रक्षति रक्षितः श्लोक को कहा से लिया गया हैं ?
यह पंक्ति मनुस्मृति के अध्याय आठवां का 14 और महाभारत के वनपर्व अध्याय 313 का 128 वा स्रोत में पढ़ने को मिलता है। इस पंक्ति का आपको आधा ही अर्थ बताया गया है। इसका संपूर्ण अर्थ को परिभाषित किया जाए तो धर्म का लोप कर देने से, इसका लोप करने वालों का ही नाश हो जाता है.और जिसने धर्म को रक्षित किया वह धर्म रक्षक कहलाता है.
इसीलिए मनुष्य को कभी भी धर्म का हनन कतई नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से न हमारे द्वारा नष्ट किया हुआ धर्म नष्ट होगा बल्कि हम स्वता नष्ट हो जायेगे। यदि कोई व्यक्ति धर्म को हानि पहुंचाता है, तो वह नष्ट किया हुआ धर्म ही मनुष्य को नष्ट कर देता है और यदि उसने धर्म की रक्षा की है ,तो ऐसे रक्षक की रक्षा स्वयं धर्म करता है।
यही वजह है कि प्रत्येक प्राणी को हमेशा धर्म की रक्षा करनी चाहिए। यदि वह ऐसा नहीं करता है, तो आगे चलकर उसके द्वारा नष्ट किया हुआ, धर्म ही उसका सर्वनाश कर देता है।
धर्म का मनुष्य और हमारे समाज पर प्रभाव
आज के दौर में अगर मनुष्य धर्म का समुचित पालन नहीं करता हैं तो ऐसे में उसे समाज से बहिष्कृत कर दिया जाता है. हमारा समाज आज किसी वजह से एकजुट है, तो इसके पीछे एक वजह हमारा सनातन धर्म है।
अगर हम आज से 100 वर्ष पूर्व का अध्ययन करें तो हम आपको बता दे की उस दौरान गुरुकुल हुआ करते थे। शक्तिपीठ हुआ करते थे जहां पर शिष्यों को धर्म के आचरण के बारे में जानकारी दी जाती थी, और हमारी शिक्षा का ध्यान रखा जाता था।
वर्तमान समय की पीढ़ी को भारत में कितने शक्तिपीठ हैं इस बारे ने बिल्कुल जानकारी नहीं है । आज का युवा वर्ग कुछ स्तिथि में धर्म के प्रति बेहद लापरवाह रवैया अपना रहे हैं। इसका अंदाजा आप ऐसे लगा सकते हैं कि वह आज समाज में एकत्रित होना नहीं चाहते हैं और एक दूसरे के बीच बिल्कुल भी जुड़ाव महसूस नहीं करते हैं।
कुछ स्तिथि में आजकल नवयुवक धार्मिक स्थलों में माथा टेकने में संकोच करता है तो आप इसे कहां तक सही मान सकते है । कुल मिलाकर कहां हमे धर्म का पालन करना चाहिए और धर्म के प्रति अपनी निष्ठा में कोई कमी नहीं आने देना चाहिए।
यह थी कुछ जानकारी Dharmo rakshati rakshitah shlok meaning in hindi के बारे में. इस जानकारी को इन्टरनेट के माध्यम से लिया गया हैं.