Chipko andolan kya hai चिपको आंदोलन मुख्यतः पेड़ पौधों और वनस्पति को बचाने के लिए किया गया था। यदि आपको चिपको आंदोलन से संबंधित संपूर्ण जानकारी प्राप्त करनी है तो आप लगातार हमारे साथ बने रहिए हम आपको आज इस पेज पर चिपको आंदोलन के बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करने की कोशिश करेंगे। आइए अब हम बात करते हैं कि चिपको आंदोलन क्या है और यह क्यों किया गया था।
चिपको आंदोलन की शुरुआत कहां से हुई थी?
चिपको आंदोलन की शुरुआत भारत के उत्तराखंड राज्य के एक छोटे से गांव से शुरुआत हुई थी। यह आंदोलन उत्तराखंड राज्य के गांव के लोगों द्वारा किया गया था जो कि जमीनी स्तर का सबसे बड़ा आंदोलन था। पेड़ पौधों को ठेकेदारों से बचाने के लिए लोगों ने पेड़ पौधों को अपने गले लगा लिया था जिसके कारण इसका नाम चिपको आंदोलन रखा गया था।
चिपको आंदोलन की शुरुआत लगभग 1970 के दशक में भारत के उत्तराखंड राज्य के सुंदरलाल बहुगुणा और उनके अनेक साथियों ने मिलकर इस आंदोलन की शुरुआत की थी। सुंदरलाल बहुगुणा ने इस आंदोलन की शुरुआत एक अहिंसक तौर पर की थी।
चिपको आंदोलन होने का क्या कारण था?
- चिपको आंदोलन के पीछे का एक मुख्य कारण यह था कि सन 1970 के दशक में यहां पर एक भयंकर रूप से बाढ़ आई थी जिसके कारण लगभग 300 से 400 किलोमीटर का इलाका लगभग नामोनिशान ही मिट गया था जिसके कारण यहां पर पेड़ पौधों और पशु पक्षियों की बहुत ही मात्रा में कमी आ गई थी।
- बहुत अधिक संख्या में बाढ़ का पानी आने के कारण और उस बाढ़ के कारण वनस्पति बहने के कारण गंगा नदी से निकलने वाली गंगा नहर में लगभग 15 किलोमीटर तक के क्षेत्र में एक बाधा उत्पन्न हो गई थी जिसके कारण यहां पर लगभग 50 मेगावाट की बिजली का उत्पादन लगभग बंद सा हो गया था। इस विपदा ने यहां के लोगों में प्रकृति के प्रति बहुत ही अधिक प्रेम जगा दिया था।
स्वतंत्र होने के पश्चात भारत में लोगों को एक आजादी दी गई थी कि जिस गांव के पास जो लोग होंगे उन्हीं पर आसपास के जंगलों की जिम्मेदारी होगी उन्हें लोगी जंगलों के मालिक पूजा स्वामी होंगे इसी कड़ी में लगभग संग 1962 में चमोली जिले के मुख्यालय गोपेश्वर में एक दसौली ग्राम स्वराज्य आसन बनाया गया था.
जिसका मुख्य कारण यह था कि यहां पर इस संघ के माध्यम से नौजवानों को रोजगार मिल जाए। जब सन 1972 में उत्तर प्रदेश राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश कास्ट कला के अंदर को अंगूर के पेड़ देने के लिए मना कर दिया था जिसके कारण यहां पर बहुत ही अधिक विरोध हुआ था।
राजस्थान में भी चिपको आन्दोलन हुआ था
राजस्थान में भी चिपको आन्दोलन हुआ था और राजस्थान में चिपको आंदोलन मुख्यत: बिश्नोई समुदाय द्वारा किया गया था। विश्नोई समाज की महिला अमृता देवी ने चिपको आंदोलन की शुरुआत की थी जब राजस्थान में 18 वीं सदी में उदयपुर के महाराजा द्वारा आसपास के पेड़ पौधों को अपनी लड़की के शादी के कारण काटना शुरू किया था.
तब अमृता देवी विश्नोई ने पेड़ पौधों के चिपक कर अपना बलिदान दे दिया। सबसे पहले चिपको आंदोलन की शुरुआत सुंदरलाल बहुगुणा ने की थी सुंदरलाल बहुगुणा महात्मा गांधी को अपना आदर्श मानते थे और वह हमेशा ही महात्मा गांधी के बताए गए सिद्धांतों पर चलते थे और वह अहिंसा पर अधिक बल देते थे।
चिपको आंदोलन का मुख्य उद्देश्य
- चिपको आंदोलन का मुख्य उद्देश्य पेड़ पौधों और प्राकृतिक वनस्पति को बचाना था इसमें बहुत से लोगों ने अपना योगदान तथा बलिदान दिया था।
- सुंदरलाल बहुगुणा ने चिपको आंदोलन को एक बहुत ही सहज व सरल तरीके से महात्मा गांधी के मार्ग पर आंदोलन को सफल बनाया था।
- चिपको आंदोलन का मुख्य उद्देश्य पर्यावरणीय पेड़ पौधों की रक्षा करना था।
निष्कर्ष
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