Pongal kyon manaya jata hai ? : जैसा की हम जानते है की एक साल में कई त्यौहार आते है जिन्हें हम काफी धूमधाम से मानते है। पोंगल भी उन्ही त्योहारों में से एक है। पोंगल एक हिन्दू त्यौहार है। पोंगल त्यौहार का समय मकर सक्रांति के आसपास ही रहता है।
पोंगल त्यौहार का दक्षिण भारत में विशेष तमिलनाडु में काफी महत्त्व है और यह त्यौहार वहा काफी धूमधाम से मनाया जाता है। आईये जानती है पोंगल के बारे में की पोंगल क्यों मनाया जाता है ? और पोंगल कब और कहा मनाया जाता है ?
पोंगल त्यौहार
पोंगल सनातन धर्म का एक त्यौहार है जिसे काफी धूम्धाम से मनाया जाता है। वैसे तो पोंगल का त्यौहार दक्षिण भारत में काफी धूमधाम से मनाया जाता है परन्तु इस त्यौहार का सबसे ज्यादा प्रचलन तमिलनाडु में है जहा इस त्यौहार को काफी ज्यादा महत्त्व दिया जाता है।
पोंगल कब मनाया जाता है ?
पोंगल का त्यौहार वैसे तो जनवरी माह में मनाया जाता है। मकर सक्रांति को ही दक्षिण भारत में पोंगल के नाम से जाना जाता है। पोंगल को मकर संक्रांति के दिन ही मनाया जाता है जो की 15 जनवरी को मनाया जाता है। कई बार इसे 14 जनवरी को भी मनाया जाता है।
पोंगल कहा मनाया जाता है?
पोंगल का त्यौहार वैसे तो मुख्य रूप से दक्षिण भारत में मनाया जाता है, परन्तु पोंगल मुख्य रूप से तमिलनाडु में मनाया जाता है। इसका प्रचलन तमिलनाडू में ज्यादा है। भारत के अलावा यह त्यौहार विदेशों में भी मनाया जाता है जिसमे अमेरिका, श्रीलंका, कनाडा, सिंगापूर, मौरिसश प्रमुख है। भारत के अलावा जहा पर भी सनातन धर्म को मानने वाले लोग रहते है वहा पर यह त्यौहार काफी धूमधाम से मनाया जाता है।
कैसे मानते है पोंगल?
पोंगल एक ऐसा त्यौहार है जिसे चार दिन मनाया जाता है, यह एक चारदिवसीय त्यौहार है। पोंगल त्यौहार का सबसे महत्वपूर्ण दिवस थाई पोंगल के रूप में मनाया जाता है। थाई पोंगल, चारदिवसीय पोंगल के दूसरा दिन है जिसे उत्तर भारत में और पुरे देश में मकार संक्रांति के रूप में मानते है।
थाई पोंगल से पिछले दिन यानी पोंगल के पहले दिन को भोगी पण्डिगाई के रूप में मानते है। इस दिन लोग अपने घरों की साफ़ सफाई करते है और वस्तुओं का त्याग करते है।
क्यों मानते है पोंगल ?
हर त्यौहार की तरह ही इस त्यौहार का भी काफी महत्त्व है। इस त्यौहार को सूर्य के उत्तरायण के त्यौहार के रूप में मानते है। पोंगल का त्यौहार फसल की कटाई का त्यौहार माना जाता है। इसके साथ ही घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाई जाती है।
इस दिन किसान अपने खेत में उगी फसल को घर लाते है और उससे सूर्यदेव को भोग लगाते है जिसे पोंगल कहा जाता है। इस दिन पर लोग सुबह 5 बजे उठते है और अपनी पुरानी चीज़ों को जलाते है।
पोंगल के चार दिन के नाम
पोंगल के चार दिन के नाम
- भोगी पोंगल
- सूर्य पोंगल
- मट्टू पोंगल
- कन्या पोंगल