26 जनवरी पर भाषण ( 26 january par bhashan ) 26 जनवरी को हर साल गणतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है। देश के आजाद होने के बाद लगभग 3 साल बाद 26 जनवरी 1950 के दिन ही भारत का संविधान लागू किया गया था।
भारत में हर साल 3 राष्ट्रीय त्यौहार मनाये जाते है जिसमे यह भी एक दिवस राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भारत के सभी स्कूल, ऑफिस और सभी जगह पर अवकाश रहता है। 26 जनवरी के दिन भारत में हर जगह और स्कूल और कॉलेज इत्यादि में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
26 जनवरी के भारत को संप्रभु देश घोषित किया था और भारत ने संप्रभु, लोकतांत्रिक गणराज्य नाम अपनाया था। भारत को आजादी 15 अगस्त 1947 को मिली थी परन्तु 26 जनवरी 1950 को देश में संविधान अपनाया गया था।
26 जनवरी पर भाषण
आदरणीय प्रधानाचार्य मदोदय जी और मेरे प्यारे शिक्षकगण और यहाँ उपस्थित मेरे प्यारें सहपाठियों। जैसा की आप सब को विदित है की आज हम यहाँ इस प्रांगन में देश के गणतंत्र दिवस के रूप में मनाने के लिए एकत्रित हुए है।
सबसे पहले आप सभी को भारत के 75वें ( या आगे ) गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकमनाएं देता हूँ। आज के इस पवन अवसर पर में अपने विचार और देश के गणतंत्र दिवस से जुडी महत्वपूर्ण जानकारी देना चाहता हूँ।
जैसा की हम जानते है की इस दिन हमारे देश का संविधान लागू किया था और हम पूर्ण रूप से स्वंत्र हुए थे। इस दिवस को भारत ने संप्रभु, लोकतांत्रिक गणराज्य नाम अपनाया गया था। भारत के गणतंत्र दिवस को काफी धूमधाम से मनाया जाता है। गणतंत्र का मतलब होता है जनता का जनता के लिए और जनता के द्वारा शासन।
भारत एक ऐसा देश है जो एक लोकतांत्रिक देश है और इसका इतिहास भी काफी महत्वपूर्ण है। भारत में संविधान की नीव डॉ। भीमराव अम्बेडकर ने रखी थी।
”सबके अधिकारों का रक्षक
अपना ये गणतंत्र पर्व है।
लोकतंत्र ही मंत्र हमारा
हम सबको ही इस पर गर्व है।”
भारत में विभिन्न जाति, धर्म और समुदाय के लोग एक साथ मिलकर रहते है और सभी त्यौहार एक साथ मिलकर मानते है। उसी तरह इस दिन को भी सब जाति, धर्म, और समुदाय के लोग मिलकर बिना किसी भेदभाव के एक साथ मनाते है।
26 जनवरी के दिन ही हमे पूर्व स्वराज मिला और इसी दिन हम पूर्ण रूप से स्वतंत्र हो गये। उन्ही क्रांतिकारियों ओर सेनानियों की वजह से आज हम चैन की सांस ले रहे है। 26 जनवरी को भारत में लार्ड माउंट बेटन के स्थान पर भारत के पहले राष्टपति के रूप में डॉ राजेंद्र प्रसाद को चुना गया था।
अंत में अपनी वाणी को विराम देता हूँ।
”ऐ शान्ति और अहिंसा की उड़ती हुई परी
आ तू भी आ, और देख की आ गयी 26 जनवरी।
जय हिन्द जय भारत”